द्वैताद्वैत वाद / भेदाभेदवाद क्या है (Dvaitadvaita)- अर्थ, प्रवर्तक, सिद्धान्त और निम्बार्क संप्रदाय | WikiFilmia- No. 1 Website

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द्वैताद्वैतवाद एक दार्शनिक सिद्धांत है जो द्वैत और अद्वैत दोनों को मानता है। द्वैताद्वैत का अर्थ है द्वैत और अद्वैत …

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विशिष्टाद्वैत वाद क्या है- विशिष्टाद्वैत का अर्थ, इतिहास एवं प्रमुख सिद्धांत- WikiFilmia | No. 1 Website

विशिष्टाद्वैत वाद क्या है- विशिष्टाद्वैत का अर्थ, इतिहास एवं प्रमुख सिद्धांत- WikiFilmia | No. 1 Website

विशिष्टाद्वैतवाद एक दार्शनिक सिद्धांत है जिसे  रामानुजाचार्य (1017-1137 ई.) ने स्थापित किया था। विशिष्टाद्वैत का तात्पर्य है “विशिष्ट+अद्वैत”। इस सिद्धांत …

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मसनवी शैली क्या है?- हिंदी साहित्य | Hindi Sahitya- WikiFilmia 1

मसनवी शैली क्या है?- हिंदी साहित्य | Hindi Sahitya- WikiFilmia 1

मसनवी एक फ़ारसी भाषा की शैली हैमसनवी शब्द का अर्थ होता है दो. इसमें हर शेर के दोनों पंक्तियों में एक ही रदीफ़ और क़ाफ़ी का मिस्रा होता हैहिंदी के प्रेमगाथा कविता की परंपरा में यही काव्य रूपांतर अपनाया गया है।मसनवी के लिए सात बह्रें नियत हैं। इन सभी सात बह्रों में मसनवी लिखी जा सकती है। शेरों की संख्या मसनवी में शेरों की कोई सीमा नहीं हैआठ, दस और बारह शेरों की छोटे मसनवियाँ होती हैं, जबकि बड़ी मसनवियों में शेरों की संख्या हज़ारों तक होती है। फ़ारसी भाषा में फ़िरदौसी की प्रसिद्ध किताब ‘शाहनामा’ एक मसनवी ही है, जिसमें साठ हज़ार शेर हैं विषय मसनवी में कोई भी विषय की सीमा नहीं होती है। कवि वह विषय चुन सकता है, जिस पर उन्हें लिखनी हो। उर्दू मसनवी के लेखकों ने मसनवी में आख्यानों को भी लिखा है, भगवान की प्रशंसा भी की है, और साहित्यिक तत्वों और प्राकृतिक दृश्यों को भी दर्शाया है मसनवी की विशेषता मसनवी की विशेषता यह है कि जो घटना या संघटना का वर्णन करना हो, उसे सरलता और विस्तार के साथ ऐसे बयां किया जाता है कि वह सम्पूर्ण घटना आंखों के सामने घूमती हुई और पूरे वातावरण को फिल्म की तरह प्रदर्शित करती है। यह उर्दू की मसनवियां हमें साहित्यिक तत्वों के साथ शौर्यपूर्ण घटनाओं और उन सामाजिक परिस्थितियों की जानकारी प्रदान करती हैं, जो वही समय का रहन-सहन, रीति-रिवाज को सच्चाई से पेश करता है। प्रेमाख्यानक काव्य ‘हिंदी के प्रेमाख्यानक काव्य की परंपरा में इसी काव्य रूप को आदान-प्रदान किया जाता है। ‘पद्मावत’ जैसी मसनवी मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखी गयी है। इस प्रकार, मसनवी को ऐसे कथा-काव्य का प्रतिरूप कहना संभव है जो महाकाव्य के पास पहुँच सकता है। कवि उर्दू के अधिकांश कवियों ने छोटी-बड़ी मसनवियाँ रची हैं। ये मसनवियाँ मीर, मीरहसन, दयाशंकर, नसीम, मिर्ज़ा शौक और कलक द्वारा लिखी जाने वाली प्रसिद्ध ह जिन अनुवादों ने रामायण और श्रीमद्भगवद गीता को उर्दू में प्रस्तुत किया है, वे सभी मसनवी के रूप में ही उपस्थित हैं …

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