Tiku Weds Sheru फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अवनीत कौर की जोड़ी कैसी लगी?
Tiku Weds Sheru फिल्म रिव्यु करते समय हम ये जानेंगे कि अवनीत कौर और नवाजुद्दीन सिद्दीकी की जोड़ी बैठती है या नहीं। नवाजुद्दीन सिद्दीकी इस फ़िल्म में फिट बैठते हैं या नहीं, इसे हम आगे विस्तार में पढ़ते हैं।
Movie Ratings:- 1/5
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एक ज़माना था जब बॉलीवुड में अच्छे ऐक्टर्स की बात होती थी ना जो नकली फ़ोन को भी अपनी एक्टिंग से असली बनाने की ताकत रखते थे तो भाई उस लिस्ट में नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नाम एकदम ऊपर रखा जाता था। ऐसी एनर्जी, ऐसी परफॉर्मेंस के लोगों के होश उड़ जाए। बट पिछले कुछ टाइम से ये नाम कहीं दब सा गया। धीरे धीरे गैंग्स ऑफ वासेपुर के फैज़ल से हीरोपंती के विलन तक के सफर खत्म हो गया।
लेकिन क्रिकेट मैच की तरह सिनेमा में भी दो इन खेली जाती है। फर्स्ट पाली में नवाजुद्दीन सिद्दीकी भाई रन आउट हो गए तो आज सेकंड थिंग शुरू होने वाली है। Tiku Weds Sheru जितना रंगीन इस फ़िल्म का नाम है, उससे कहीं ज्यादा कलरफुल इसका कॉन्टेंट है। मतलब आपको यकीन नहीं होगा इस फ़िल्म को देखते वक्त आप बाकी कोई हिंदी फ़िल्म देख रहे हो या फिर हिन्दुस्तानी भावु का विडिओ? भाई इतनी गालियां भरी पड़ी है ना इसपे उनके अंदर कि गलती से अगर अपने घरवालों के सामने चला दी तो जूते चप्पल सारे आपके सर पे सजा दिए जाएंगे।
Tiku Weds Sheru Review On IMDb
कहानी वैसे जूनियर ऐक्टर की है जो फिल्मों में छोटे मोटे रोल करता है, लेकिन दुनिया वालों के सामने सर नहीं झुकेगा, भले ही पेट खाली हो, दिमाग सपनों से भरा पड़ा है और एक दिन अपने हीरो की मेहनत रंग लाती है। जब इनके पास रिश्ते के लिए एक लड़की की फोटो आती है, चेहरा इतना सुन्दर की मुंबई वाली हिरोइन भी फेल हो जाएगी। लेकिन हरकत ऐसी है जिसके सामने जलेबी सी बी हो जायेगी ज्यादा दिमाग नहीं लगाये।
दोनों की शादी हो जाती है लेकिन कहानी में असली मौत का खेल उसके बाद शुरू होता है। अरे भैया सच में अपने हीरो की हिरोइन घर से गायब हो जाती है, फिर मुलाकात होती है हॉस्पिटल में जहाँ इलज़ाम लगता है इनपे खुद की जान लेने का। अब ये बताओ, बेचारा जूनियर एक्टर इसकी खुद की जिंदगी किसी पिक्चर से कम रह गई। क्या हिरोइन जो खुद को मारना चाहती है और हीरो को घंटा कुछ मालूम नहीं, ये तो साला सस्पेंस थ्रिलर बन गया।
Tiku Weds Sheru Review On WikiFilmia
देखो भाई नवाजुद्दीन सिद्दीकी की Tiku Weds Sheru एक अजीबोगरीब फ़िल्म है। इससे ज्यादा सूटेबल वर्ड कोई दूसरा मेरी डिक्शनरी में है नहीं। ऐक्चुअली 2 घंटे आँखों के सामने सब कुछ देखने के बाद भी अगर कोई आपसे पूछेगा फ़िल्म में क्या देखा तो आपके पास जवाब नहीं होगा बताने को। वो इसलिए क्योंकि इसका कॉन्टैक्ट इतना ज्यादा बकवास और घिसा पीटा टाइप का है कि एक सेकंड नहीं लगेगा, आपको पिछला सीन भूल जाने में।
फ़िल्म को वैसे बेचा जा रहा है कॉमेडी एंटरटेनर की तरह, लेकिन हँसी आपको फ़िल्म में नहीं खुद अपनी किस्मत पे आएगी। 2 घंटे बर्बाद करने के लिए हाँ लेकिन इसको ट्रैजिडी पक्का बोल सकते है क्योंकि फ़िल्म में नवाज के टैलेंट के साथ जो किया जा रहा है ना उसे देखकर आँखों में आंसू जरूर आ जाएंगे
एक तो अवनीत कौर को उनकी एज से दुगना दिखाने की कोशिश क्यों की जा रही है। ये बात मेरी समझ से बिल्कुल बाहर है। मतलब कहानी की जरूरत होती है तो समझ आता है, लेकिन फ़िल्म में ऐसा कुछ पॉइंट है नहीं, फिर किसी दूसरी एज ऐक्टर्स को क्यों नहीं लिया गया। स्पेसिअली फ़िल्म के क्लाइमैक्स में अवनीत से कुछ अडल्ट सीन्स भी करवाए गए, जिसके पीछे कोई लॉजिक नहीं है। कोई एक्सप्लेनेशन नहीं है। उसका सच बताऊँ एंड तक आते आते ना आपको थोड़ा बहुत गुस्सा आ सकता है।
Tiku Weds Sheru बनाने वाले लोगों पे कुछ सीन्स है जिसमें जैसे आपके दिमाग को शर्म आयेगी। ये क्या हुआ, क्यों हुआ, सोचकर एक लिमिट होती है ना? सही गलत की ये फ़िल्म उसको क्रॉस कर जाती है। आपको पता है ऐसी फिल्मों की वजह से ये इलज़ाम लगाए जाते हैं कि घटिया मूवीज़ इन में दम नहीं है। उनको जानबूझकर रोटी पे डाल दिया जाता है। ओटीटी डस्टबिन बन चुका है जबकि ओटी पे तो शेर शाह जैसी पार्सल मूवीज़ भी आती है।
मोनिका डार्लिंग कैसा एक्सपेरिमेंट या फिर बुलबुल जैसी मास्टरपीस? हम लोगों के इस ऑडियंस की जिम्मेदारी बनती है की ओटीटी पे थोड़ा ढंग का कॉन्टेंट आए क्योंकि इसको डायरेक्ट फ़ैमिलीज़ देखती है। उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है ये टीकू वेज शेरू जैसी मूवीज़ को पूरी ईमानदारी से क्रिटिसाइज करना, इसको इग्नोर मत करिए। आवाज उठाइये पूरे ज़ोर से या फिर उनको मेरी तरफ से पांच में से ज़ीरो स्टार्स मिलेंगे।
शायद अब तक आप समझ ही गए होंगे क्यों? नंबर वन एकदम बकवास कहानी कोई सर पैर नहीं है। इसका दूसरा एक्टिंग या फिर कही ओवर एक्टिंग जो झेल नहीं सकते। तीसरा अवनीत की कास्टिंग बहुत गलत है, सिर्फ फिल्मों के लिए नहीं। ऑडियंस के लिए भी हम अंडे थोड़ी है, सब समझते हैं। चौथा फ़िल्म के डायलॉग्स महाघटिया है कोई नहीं बनता किसी बात का जबरदस्ती गलियां भर दी है। और पांचवा नवाज के टैलेंट के साथ इनजस्टिस अगली बार से नवाज़ सर ऐसी फ़िल्में ना करें क्योंकि गलती आपकी भी है।