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द्वैताद्वैत वाद / भेदाभेदवाद क्या है (Dvaitadvaita)- अर्थ, प्रवर्तक, सिद्धान्त और निम्बार्क संप्रदाय | WikiFilmia- No. 1 Website

द्वैताद्वैत वाद / भेदाभेदवाद क्या है (Dvaitadvaita)- अर्थ, प्रवर्तक, सिद्धान्त और निम्बार्क संप्रदाय | WikiFilmia- No. 1 Website

द्वैताद्वैतवाद एक दार्शनिक सिद्धांत है जो द्वैत और अद्वैत दोनों को मानता है। द्वैताद्वैत का अर्थ है द्वैत और अद्वैत दोनों का समन्वय। द्वैताद्वैतवाद के अनुसार, ब्रह्मांड ईश्वर  से भिन्न है, किन्तु यह ब्रह्म का एक हिस्सा भी है। द्वैताद्वैतवाद के प्रणेता निम्बार्क आचार्य हैं। द्वैताद्वैतवाद को “भेद-अभेदवाद”(भेदाभेदवाद) भी कहा जाता है। द्वैताद्वैतवाद की मुख्य … Read more

मसनवी शैली क्या है?- हिंदी साहित्य | Hindi Sahitya- WikiFilmia 1

मसनवी शैली क्या है?- हिंदी साहित्य | Hindi Sahitya- WikiFilmia 1

मसनवी एक फ़ारसी भाषा की शैली हैमसनवी शब्द का अर्थ होता है दो. इसमें हर शेर के दोनों पंक्तियों में एक ही रदीफ़ और क़ाफ़ी का मिस्रा होता हैहिंदी के प्रेमगाथा कविता की परंपरा में यही काव्य रूपांतर अपनाया गया है।मसनवी के लिए सात बह्रें नियत हैं। इन सभी सात बह्रों में मसनवी लिखी जा सकती है। शेरों की संख्या मसनवी में शेरों की कोई सीमा नहीं हैआठ, दस और बारह शेरों की छोटे मसनवियाँ होती हैं, जबकि बड़ी मसनवियों में शेरों की संख्या हज़ारों तक होती है। फ़ारसी भाषा में फ़िरदौसी की प्रसिद्ध किताब ‘शाहनामा’ एक मसनवी ही है, जिसमें साठ हज़ार शेर हैं विषय मसनवी में कोई भी विषय की सीमा नहीं होती है। कवि वह विषय चुन सकता है, जिस पर उन्हें लिखनी हो। उर्दू मसनवी के लेखकों ने मसनवी में आख्यानों को भी लिखा है, भगवान की प्रशंसा भी की है, और साहित्यिक तत्वों और प्राकृतिक दृश्यों को भी दर्शाया है मसनवी की विशेषता मसनवी की विशेषता यह है कि जो घटना या संघटना का वर्णन करना हो, उसे सरलता और विस्तार के साथ ऐसे बयां किया जाता है कि वह सम्पूर्ण घटना आंखों के सामने घूमती हुई और पूरे वातावरण को फिल्म की तरह प्रदर्शित करती है। यह उर्दू की मसनवियां हमें साहित्यिक तत्वों के साथ शौर्यपूर्ण घटनाओं और उन सामाजिक परिस्थितियों की जानकारी प्रदान करती हैं, जो वही समय का रहन-सहन, रीति-रिवाज को सच्चाई से पेश करता है। प्रेमाख्यानक काव्य ‘हिंदी के प्रेमाख्यानक काव्य की परंपरा में इसी काव्य रूप को आदान-प्रदान किया जाता है। ‘पद्मावत’ जैसी मसनवी मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखी गयी है। इस प्रकार, मसनवी को ऐसे कथा-काव्य का प्रतिरूप कहना संभव है जो महाकाव्य के पास पहुँच सकता है। कवि उर्दू के अधिकांश कवियों ने छोटी-बड़ी मसनवियाँ रची हैं। ये मसनवियाँ मीर, मीरहसन, दयाशंकर, नसीम, मिर्ज़ा शौक और कलक द्वारा लिखी जाने वाली प्रसिद्ध ह जिन अनुवादों ने रामायण और श्रीमद्भगवद गीता को उर्दू में प्रस्तुत किया है, वे सभी मसनवी के रूप में ही उपस्थित हैं नए उर्दू कवियों ने भी मसनवियाँ लिखी हैं, जिनमें नई सामाजिक और राजनीतिक चेतना दिखती है। इस बीच, इकबाल की ‘साकीनामा’ और सरदार जाफ़री का ‘नयी दुनिया को सलाम’ अधिक प्रसिद्ध हैं। संदर्भ- bharatdiscovery.org   यह भी देखें- अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 1000+ (वाक्यांश के लिए एक शब्द)| anek shabdon ke liye ek shabd / vakyansh … Read more