Premchand Ka Jeevan Parichay | मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय- मुंशी प्रेमचन्द जी हिंदी और उर्दू के प्रसिद्ध लेखक, कथाकार और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राय था, परन्तु बाद में प्रेमचन्द के नाम से प्रसिद्ध हुए।
premchand ka jivan parichay | मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
प्रेमचन्द जी का प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। सात साल की आयु में माता, सोलह साल की आयु में पिता का स्वर्गवास हो गया। प्रेमचन्द जी को परिवार का सहारा बनना पड़ा, और उन्होंने कुछ समय के लिए मुंसिफी (सहायक मुंसिफ) की नौकरी की।
प्रेमचन्द जी को पढ़ने-लिखने का शौक था, और उन्होंने हिंदी, उर्दू, संस्कृत, परसी, अंग्रेजी, समाज-शास्त्र, हिस्ट्री, पॉलिटिकल-साइंस, मैथमेटिक्स, प्रोस (प्रोस), पोत्रि (पोत्रि) में महारत हासिल की। 1919 में सेवा-सदन के प्रकाशन के साथ ही प्रेमचन्द हिंदी साहित्य के महानतम उपन्यासकारों में से एक होने का सम्मान प्राप्त करते हैं।
प्रेमचन्द जी के समकालीन समाज में होने वाले समस्यओं, संकल्पों के कारण, 1921 में महात्मा-गाँधी के सत्याग्रह–हड़ताल में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, और साहित्य के क्षेत्र में पूर्ण रूप से समर्पित हो गए।
premchand ki kahaniyan
प्रेमचन्द जी के उपन्यासों में गोदान, कर्मभूमि, रंगभूमि, निर्मला, गबन, सेवासदन, प्रेमाश्रम आदि प्रमुख हैं। उनकी कहानियों में कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा, नमक का दारोगा आदि प्रसिद्ध हैं।
प्रेमचन्द जी के साहित्य में समाज, संस्कृति, राजनीति, धर्म, नैतिकता, मानवता, प्रेम, सहानुभूति, सहिष्णुता, आक्रोश, विद्रोह, स्वाधीनता, समानता, न्याय, अन्याय, गरीबी, अमीरी, जाति-प्रथा, पुरुष-प्रधानता, स्त्री-सुधार, परिवेश-संरक्षण, कला-संस्कृति, प्रकृति-प्रेम, मनुष्य-प्रेम, प्राणी-प्रेम आदि मुद्दे प्रस्तुत होते हैं।
प्रेमचन्द जी के साहित्य का अनुवाद कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में किया गया है। प्रेमचन्द जी के कुछ कृतियों पर फिल्में और टी.वी. सीरियल भी बने हैं।
8 अक्टूबर 1936 को प्रेमचन्द जी का 56 साल की आयु में सरकोमा (Cancer) के कारण निधन हो गया।
प्रेमचन्द की कहानियों को पढ़ने के स्रोत
आपको कुछ संसाधन बता सकता हूं, जहां पर आप प्रेमचन्द की कहानियों को पढ़ सकते हैं।
- आप premchand.co.in/stories पर जा सकते हैं, जहां पर आपको प्रेमचन्द की 121 कहानियों का संग्रह मिलेगा।
- आप rekhta.org/authors/premchand/storiesपर जा सकते हैं, जहां पर आपको प्रेमचन्द की 75 कहानियों का संग्रह मिलेगा, और आप उन्हें हिंदी, उर्दू, और अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं।
- आप flipkart.com या amazon.inपर जा सकते हैं, जहां पर आपको प्रेमचन्द की किताबें ख़रीदने के लिए मिलेंगी, और आप उन्हें हिंदी, उर्दू, पंजाबी, और अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं।
- आप leverageedu.com/blog/munshi-premchand/पर जा सकते हैं, जहां पर आपको प्रेमचन्द की कुछ प्रसिद्ध कहानियों के बारे में जानकारी मिलेगी, और आप उन्हें YouTube पर सुन सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि ये संसाधन आपके काम आएंगे, और आप प्रेमचन्द की कहानियों का मज़ा लेंगे।
प्रेमचंद जी के साहित्य में हमारा इतिहास कई तरह से प्रकट होता है।
- प्रेमचंद जी के साहित्य में भारतीय समाज की विभिन्न पहलुओं, जैसे कि ग्रामीण जीवन, किसानों का संघर्ष, जाति-प्रथा, स्त्री-सुधार, पुरुष-प्रधानता, गरीबी, अमीरी, अन्याय, न्याय, समानता, स्वाधीनता, आदि का चित्रण किया गया है।
- प्रेमचंद जी के साहित्य में भारतीय संस्कृति की विशेषताओं, जैसे कि परम्परा, मूल्य, धर्म, मानवता, प्रेम, सहानुभूति, सहिष्णुता, परिवेश-संरक्षण, कला-संस्कृति, प्रकृति-प्रेम, मनुष्य-प्रेम, प्राणी-प्रेम, आदि का सम्मान किया गया है।
- Premchand के साहित्य में भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण घटनाओं, जैसे कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम (Godaan), 1919 का जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Rangabhumi), 1920-22 का असहकार आंदोलन (Karmabhumi), 1930-31 का सोलह सितम्बर (Gaban), 1931-32 का पूना पक्ष (Karmabhumi), 1935-36 का मुसलमानों के मुक्ति (Godaan), 1936-37 के प्रो.स.प. (Godaan), 1942 के ‘करो या मरो’ (Mangalsutra), 1947 के पाकिस्तान (Mangalsutra), 1948 के महात्मा गाँ Gandhi’s assassination (Mangalsutra), आदि का उल्लेख किया गया है। 123
इस प्रकार, प्रेमचंद जी के साहित्य में हमारा इतिहास एक जीवंत, साक्षात्कारी, और समाज-चेतना के साथ प्रकट होता है।