Malik Muhammad Jayasi / मलिक मुहम्मद जायसी (1477-1542) हिंदी साहित्य के भक्ति काल के महान कवि थे. वे अवधी भाषा के कवि थे और उनकी प्रमुख रचना पद्मावत है. पद्मावत एक महाकाव्य है जो रत्नावती और अलाउद्दीन खिलजी के प्रेम की कहानी कहता है।
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मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय
जायसी का जन्म 1477 में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के मैखरी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम राजा अशरफ़ और माता का नाम मलिका जाहिदा था. जायसी ने अपने प्रारंभिक शिक्षा मैखरी गांव में ही प्राप्त की. बाद में उन्होंने दिल्ली और लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की.
sahitya akademi award 2022 | साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022 | All Languages
जायसी ने अपने जीवन में कई पदों और दोहों की रचना की, लेकिन उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना पद्मावत है. पद्मावत एक महाकाव्य है जो रत्नावती और अलाउद्दीन खिलजी के प्रेम की कहानी कहता है. यह महाकाव्य 24,000 पदों में लिखा गया है और यह हिंदी साहित्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय ग्रंथ है.
जायसी एक महान कवि थे और उन्होंने अपनी रचनाओं में प्रेम, करुणा, भक्ति और देशभक्ति के भावों को व्यक्त किया है. उनकी रचनाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें हिंदी साहित्य के एक अमूल्य धरोहर के रूप में माना जाता है.
जायसी का निधन 1542 में लखनऊ में हुआ था।

जायसी एक भारतीय सूफी कवि
मलिक मुहम्मद जायसी एक भारतीय सूफी कवि और पीर थे, जिन्होंने अवधी भाषा में लिखा। उनका सबसे प्रसिद्ध काव्य पद्मावत (1540) है, जो अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर हमले की ऐतिहासिक घटना को बताता है। पद्मावत में, अलाउद्दीन रानी पद्मावती की सुंदरता के सुनकर, राजा रतनसेन की पत्नी, को प्राप्त करने के लिए चित्तौड़ पर हमला करता है।
परंतु, जायसी का मकसद कभी भी इतिहास लिखना नहीं था। उनका काव्य सृजनात्मक, कल्पनाशील साहित्य का काम है, जो इतिहास में हुए एक प्रसंग के आसपास बुना हुआ है। पद्मावत के अंत में, जायसी स्पष्ट रूप से कहते हैं, “मैंने कहानी को सोच-समझकर सम्बंधित किया है”। मना होता है कि ऐसा स्पष्ट स्वीकरण “कहानी सोच-समझकर” सम्बंधित करने का, कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि प्रेम-कहानी सृजनात्मक साहित्य है।
प्रेम-कहानी का उद्देश्य सूफी मत का प्रचार करना था, जिसमें प्रेमी को अपने प्रेम के लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है, और प्रेमी को अपने प्रेम के लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है। जायसी ने अपने काव्य में विभिन्न संस्कृतियों, मतों, और रीति-रिवाजों का सम्मिलन किया है, और उनके माध्यम से सूफी संदेशों को प्रस्तुत किया है। 4
Malik Muhammad Jayasi की रचनाऐं
मलिक मुहम्मद जायसी एक महान कवि थे, जिन्होंने अवधी भाषा में कई रचनाएं लिखीं. उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना पद्मावत है, जो एक महाकाव्य है जो रत्नावती और अलाउद्दीन खिलजी के प्रेम की कहानी कहता है. पद्मावत को हिंदी साहित्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है और इसे भारत के राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है.
जायसी की अन्य रचनाएं इस प्रकार हैं:
- अखरावट
- आखरी कलाम

मलिक मुहम्मद जायसी की रचनाऐं आपको जानना चाहते हैं? वह हिन्दी साहित्य के भक्ति काल के प्रसिद्ध सूफी कवि थे, जिन्होंने अवधी भाषा में अनेक काव्यों की रचना की। 123
उनकी २१ रचनाओं के उल्लेख मिलते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
- पद्मावत: यह उनका सबसे प्रसिद्ध महाकाव्य है, जो अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर हमले की ऐतिहासिक घटना पर आधारित है। इसमें, प्रेम, सुंदरता, समर, संन्यास, मुक्ति, मोह, ममता, मुसलमान-हिंदू मेल-मिलाप, मुसलमान-हिंदू मत-मतान्तर, मुसलमान-हिंदू प्रेम-प्रसंग, मुसलमान-हिंदू प्रेम-प्रसंगों में होने वाले प्रेम-प्रसंगों, मुसलमान-हिंदू प्रेम-प्रसंगों में होने वाले प्रेम-प्रसंगों में होने वाले प्रेम-प्रसंगों का सुन्दर समन्वय किया है। इसकी भाषा अवधी है और इसकी रचना-शैली पर आदिकाल के जैन कवियों की दोहा चौपाई पद्धति का प्रभाव पड़ा है।
- कहरनामा: यह एक लोककाव्य है, जो कहर (कुम्हार) की पत्नी के पति से प्रेम की कहानी है। इसमें, कहर (कुम्हार) की पत्नी को राजा का प्रेम प्रस्तुत किया है, जो राजा को त्याग कर पति के साथ रहती है। इसका उद्देश्य सूफी मत का प्रचार करना है, जिसमें प्रेमी को अपने प्रेम के लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है, और प्रेमी को अपने प्रेम के लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है।
- अखरावट: यह एक नीतिकाव्य है, जो संसार की नाशवरता, मानव के कर्तव्य, और मुक्ति के मार्ग पर प्रवचन देता है। इसमें, एक राजा, एक संन्यासी, और एक हिरणी के संवादों के माध्यम से इन विषयों को स्पष्ट किया है। इसकी भाषा भी अवधी है, परंतु इसमें प्राकृत, पालि, और संस्कृत के तत्सम-तद्भव शब्दों का प्रचुर प्रयोग हुआ है।
- आखिरी कलाम: यह उनका अंतिम काव्य है, जो उनकी मृत्यु से पहले ही पूरा हुआ था। इसमें, उन्होंने अपने साहित्यिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक अनुभवों का सार समेटा है।

पद्मावत एक महाकाव्य
मालिक मुहम्मद जायसी ने अपने काव्य के माध्यम से “पद्मावत” नामक एक महाकाव्य (Epic) रचा था। यह महाकाव्य राजपूत राजा रतनसिंह और दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी के द्वन्द्व के आधार पर लिखा गया है। “पद्मावत” एक काव्यात्मक रूप से भव्य काव्य है जिसमें कवि ने इतिहास, प्रेम, साहस, और धर्म के भावों को सुंदरता से व्यक्त किया है।
“पद्मावत” में राणी पद्मावती के सौंदर्य का वर्णन, राजा रतनसिंह के धैर्य का गान, और अलाउद्दीन ख़िलजी के प्रेम का वर्णन किया गया है। रानी पद्मावती की सुंदरता और महत्व ने ख़िलजी सुल्तान के मन में उसे प्रेम के प्रति आकर्षित किया, जिससे उसने चित्रकला और कृत्रिमता का शोकाकुल विचार किया था।
इस काव्य में रतनसिंह ने अपनी पत्नी की सुंदरता के प्रति अपने प्रेम और समर्पण का प्रदर्शन किया है और पद्मावती ने भी अपने दारा और राजपूत धरोहर के प्रति वफादारी और समर्पण का प्रदर्शन किया है।
“पद्मावत” को मालिक मोहम्मद जायसी के काव्य का एक महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है और उर्दू साहित्य के महाकाव्यों में शामिल होता है। इसका सम्मान और मान्यता समृद्ध शब्दों, विशाल काव्यात्मक भावनाओं, और सुंदरता से भरा हुआ है।
पद्मावत एक महाकाव्य है जो 16 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अवधी भाषा में लिखा गया था. यह महाकाव्य मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित है. पद्मावत में रत्नावती और अलाउद्दीन खिलजी के प्रेम की कहानी है. यह महाकाव्य 24,000 पदों में लिखा गया है और यह हिंदी साहित्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय ग्रंथ है. पद्मावत में जायसी ने प्रेम, करुणा, भक्ति और देशभक्ति के भावों को व्यक्त किया है.

पद्मावत की कहानी इस प्रकार है:
रत्नावती एक सुंदर राजकुमारी थी जो मेवाड़ के राजा रतन सिंह की बेटी थी. अलाउद्दीन खिलजी एक शक्तिशाली सुल्तान था जो रत्नावती के सौंदर्य से मोहित हो गया. उसने रत्नावती को पाने के लिए मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया. रतन सिंह ने वीरता से लड़ाई लड़ी, लेकिन वह हार गया. अलाउद्दीन खिलजी ने रत्नावती को बंदी बना लिया और उसे अपने महल में ले गया. रत्नावती ने अलाउद्दीन खिलजी के साथ शादी करने से इनकार कर दिया. उसने जौहर कर लिया, जिसका अर्थ है कि उसने अपने साथी महिलाओं के साथ आग में कूदकर अपनी जान दे दी.
पद्मावत एक प्रेम कहानी है, लेकिन यह एक दुखद कहानी भी है. यह कहानी प्रेम के शक्ति को दर्शाती है, लेकिन यह कहानी युद्ध के विनाशकारी प्रभाव को भी दर्शाती है. पद्मावत एक महाकाव्य है जो आज भी लोगों को प्रेरित करता है. यह एक कहानी है जो प्रेम, करुणा, भक्ति और देशभक्ति के महत्व को बताती है.
पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा 1540 ई. में लिखा गया एक प्रसिद्ध सूफी महाकाव्य है, जो प्रेम, सुंदरता, समर, संन्यास, मुक्ति, मोह, ममता, मुसलमान-हिंदू मेल-मिलाप, मुसलमान-हिंदू मत-मतान्तर, मुसलमान-हिंदू प्रेम-प्रसंग, आदि के विषयों को समेटता है।
पद्मावत के कुछ रोचक तथ्य हैं:
- पद्मावत की प्रेरणा संस्कृत के प्राचीन महाकाव्य पद्मपुराण से हुई है, जिसमें पद्मिनी का पहला उल्लेख है।
- पद्मावत की भाषा अवधी है, परंतु इसमें संस्कृत, प्राकृत, पालि, फारसी, अरबी, और तुर्की के शब्दों का प्रयोग हुआ है।
- पद्मावत की कहानी का सन्दर्भ 1303 ई. के समय का है, जब सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) ने मेवाड़ के राजा रतनसेन (1303-1308) के सिंहल-प्रेमिका पद्मिनी (पदमावती) को हसील करने के लिए चित्तौड़ पर हमला किया।
- पद्मावत में 23 सर्ग (कंत) हैं, 633 सोरत (कपलेट) हैं, 653 दोहे (कपल) हैं, 7 सोरत-कपल (कपलेट-कपल) हैं, 1 सोरत-कपल-कपल (कपलेट-कपल-कपल) है, 1 सोरत-कपल-सोरत (कपलेट-कपल-कपलेट) है, 1 सोरत-सोरत (कपलेट-कपलेट) है, 1 सोरत (कपलेट) है, 1 कपल (कपल) है, 1 सोरत-कपल-कपल-सोरत (कपलेट-कपल-कपल-कपलेट) है, और 1 चौपाई है।
- पद्मावत का उद्देश्य सूफी मत का प्रचार करना है, जिसमें प्रेमी को अपने प्रेम के लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है, और प्रेमी को अपने प्रेम के लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है।
मुझे उम्मीद है कि मैंने आपको पद्मावत महाकाव्य के तथ्य के बारे में संतोषजनक जानकारी दी है। आपको पद्मावत महाकाव्य का पाठन करने में मजा आएगा। 😊
मलिक मोहम्मद जायसी की काव्यगत विशेषता
- जायसी ने सिद्धांतो का प्रतिपादन करने वाली रचनाएं लिखी है।
- जायसी की रचनाएं प्रेमाख्यान काव्य में लेखन की परंपराओं को रखते हुए प्रोढता प्रदान किया है।
- जायसी ने अपने काव्य में मसनवी शैली का प्रयोग किया है।
- जायसी ने लौकिक प्रेम के माध्यम एस अलौकिक प्रेम की और अग्रसर होने वाली आध्यात्मिक रचनाएं लिखी है।
- जायसी ने सूफी सिद्धांतो को प्रतिपादित करने वाली रचनाएं लिखी है।
- जायसी ने सूफी प्रेममार्गी कवि और प्रेम का लोकधर्मी रूप प्रदान किया है।
- जायसी की रचनाओं में ठेठ अवधि भाषा से उत्कृष्ठ साहित्य का उपयोग किया है।
- जायसी ने दोहा चौपाई छंद का प्रयोग किया है।
- जायसी ने प्रौढ़ और गंभीर काव्य शैली का प्रयोग अपने काव्य में किया है।
- जायसी के काव्य में मुहावरे, लोकोत्तिया, तथा अलंकारों का प्रयोग किया है।