जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं, जीवन परिचय: जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1890 – 15 नवंबर 1937) हिंदी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं. वे कवि, नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार और निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं. उनका जन्म 30 जनवरी 1890 को वाराणसी में हुआ था. उनके पिता देवी प्रसाद एक प्रसिद्ध वैश्य व्यापारी थे और उनकी माता मुन्नी देवी एक धार्मिक महिला थीं. प्रसाद जी ने प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में ही प्राप्त की और बाद में उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय, रचनाऐं-1
साहित्यिक जीवन
प्रसाद जी ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत कविता से की. उनकी पहली कविता “चित्राधार” 1916 में प्रकाशित हुई. इसके बाद उन्होंने “कामायनी”, “लहर”, “झरना”, “आँधी”, “प्रतिध्वनि”, “इंद्रजाल”, “आकाशदीप” और “काव्य और कला” जैसी कई कविताओं की रचना की. प्रसाद जी ने नाटक भी लिखे, जिनमें “चंद्रगुप्त”, “स्कंदगुप्त”, “ध्रुवस्वामिनी”, “प्रायश्चित” और “जनमेजय का नाग-यज्ञ” प्रमुख हैं. उन्होंने उपन्यास भी लिखे, जिनमें “कंकाल”, “तितली” और “इरावती” प्रमुख हैं. प्रसाद जी ने कहानियां भी लिखी, जिनका संकलन “छाया”, “आँधी” और “इंद्रजाल” में हुआ है. उन्होंने निबंध भी लिखे, जिनका संकलन “काव्य और कला तथा अन्य निबंध” में हुआ है.(जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं)
नाम | जयशंकर प्रसाद |
जन्म | सन 1890 ईस्वी में |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश राज्य के काशी में |
पिता का नाम | श्री देवी प्रसाद |
शैक्षणिक योग्यता | अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, हिंदी व संस्कृत का स्वाध्याय |
रुचि | साहित्य के प्रति, काव्य रचना, नाटक लेखन |
लेखन विधा | काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध |
मृत्यु | 15 नवंबर, 1937 ईस्वी में |
साहित्य में पहचान | छायावादी काव्यधारा के प्रवर्तक |
भाषा | भावपूर्ण एवं विचारात्मक |
शैली | विचारात्मक, अनुसंधानात्मक, इतिवृत्तात्मक, भावात्मक एवं चित्रात्मक। |
साहित्य में स्थान | जयशंकर प्रसाद जी को हिंदी साहित्य में नाटक को नई दिशा देने के कारण ‘प्रसाद युग’ का निर्माणकर्ता तथा छायावाद का प्रवर्तक कहा गया है। |

प्रसाद जी का साहित्य अत्यंत समृद्ध और बहुआयामी है. उन्होंने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयां प्रदान की हैं. वे हिंदी के छायावादी युग के सबसे प्रमुख कवि, नाटककार, उपन्यासकार और कहानीकार हैं. उन्हें हिंदी साहित्य का अग्रदूत माना जाता है.
प्रसाद जी का निधन 15 नवंबर 1937 को वाराणसी में हुआ. वे हिंदी साहित्य के एक महान कवि, नाटककार, उपन्यासकार और कहानीकार थे. उन्होंने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयां प्रदान की हैं. वे हिंदी साहित्य का अग्रदूत माने जाते हैं.
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं
जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1890 – 15 नवंबर 1937) हिंदी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं. वे कवि, नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार और निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं. जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं:
-
काव्य:
- कामायनी (1936)
- लहर (1916)
- झरना (1918)
- आंधी (1922)
- प्रतिध्वनि (1926)
- इंद्रजाल (1930)
- आकाशदीप (1933)
- काव्य और कला (1934)
-
Jaishankar Prasad | जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं, जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएँ-1 -
नाटक:
- चंद्रगुप्त (1918)
- स्कंदगुप्त (1927)
- ध्रुवस्वामिनी (1929)
- प्रायश्चित (1932)
- जनमेजय का नाग-यज्ञ (1935)
-
उपन्यास:
- कंकाल (1928)
- तितली (1931)
- इरावती (1934)
-
कहानी संग्रह:
- छाया (1926)
- आंधी (1930)
- इंद्रजाल (1934)
-
निबंध संग्रह:
- काव्य और कला तथा अन्य निबंध (1934)
जयशंकर प्रसाद का साहित्य अत्यंत समृद्ध और बहुआयामी है. उन्होंने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयां प्रदान की हैं. वे हिंदी के छायावादी युग के सबसे प्रमुख कवि, नाटककार, उपन्यासकार और कहानीकार हैं. उन्हें हिंदी साहित्य का अग्रदूत माना जाता है.(जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं)
जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक विशेषताएँ
जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार और निबन्धकार थे। उन्होंने हिंदी काव्य में एक नई धारा की स्थापना की, जिसमें सौंदर्य, प्रेम, मनुष्यता, संस्कृति, इतिहास, प्रकृति और आत्मा के विभिन्न पहलुओं का समन्वय हुआ। उनके काव्य की कुछ मुख्य विशेषताएँ हैं:
- संस्कृति-प्रेम: प्रसाद को संस्कृति-प्रेमी कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने अपने काव्य में भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी समझ, समर्पण और सम्मान प्रकट किया है। उन्होंने प्राचीन भारत के महान् कला-कर्म, महाकाव्य, महापुरुष, महान् संस्था, महान् परम्परा, महान् संस्कृति-मूल्यों को अपने काव्य में समेटा है। 1234
- प्रेम-प्रधानता: प्रसाद को प्रेम-प्रधान कहा जा सकता है, क्योंकि उनके काव्य में प्रेम ही मुख्य प्रेरक-शक्ति है। प्रेम के समस्त सुंदर, मनोहर, मुकुलित, मुरलीत, मुस्कुराते, मुहोरते, मुहोर-मुहोर होने वाले समस्त पहलुओं को प्रसाद जी ने समेटा है। 1234 प्रसाद का प्रेम-प्रतीति ही समस्त सृष्टि-प्रतीति है। [5]
- प्रकृति-प्रेम: प्रसाद को प्रकृति-प्रेमी कहा जा सकता है, क्योंकि उनके काव्य में प्रकृति के समस्त पहलुओं का समृद्ध चित्रण है। 1234 उन्होंने प्रकृति को न केवल सौंदर्य का स्रोत, बल्कि मनुष्य के साथी, सहायक, शिक्षक, प्रेरक, आनंद-दाता, शांति-दाता, आत्मा-दाता माना है। [5] [6] उन्होंने प्रकृति के साथ मनुष्य के अंतरंग सम्बन्धों को भी अपने काव्य में प्रस्तुत किया है। [7]
इस प्रकार, प्रसाद के काव्य की तीन विशेषताएँ हैं: संस्कृति-प्रेम, प्रेम-प्रधानता और प्रकृति-प्रेम। उनके काव्य में इन तीनों का समन्वय है, जिससे उनका काव्य समृद्ध, सुंदर, सुरुचि, सुरस, सुमधुर, सुमनोरम, सुमनोहर है।(जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं)

Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay से सम्बंधित कक्षा 10 के प्रश्न उत्तर
Jaishankar Prasad ka jivan parichay से संबंधित क्षितिज- पाठ 6 कक्षा 10 के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर नीचे दिए गए हैं-
1. जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था?
(क) 1880 ई.
(ख) 1889 ई.
(ग) 1888 ई.
(घ) 1890 ई.
उत्तर-(ख) 1889 ई.
2. जयशंकर प्रसाद द्वारा संपादित पत्रिका का नाम क्या था?
(क) प्रभा
(ख) माधुरी
(ग) सरस्वती
(घ) इन्दु
उत्तर-(घ) इन्दु
3. जयशंकर प्रसाद के किन्हीं तीन काव्य संग्रहों के नाम बताइए?
उत्तर- लहर झरना कामायनी
4. ईश्वर की प्रशंसा का राग कौन गा रहा है?“
उत्तर-तरंगमालाएँ ईश्वर की प्रशंसा का राग गा रही हैं।
5. मनुष्य के मनोरथ कब पूर्ण होते हैं?
उत्तर-ईश्वर की दया होने पर मनुष्य के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
6. अंशुमाली का क्या अर्थ है?
उत्तर-अंशुमाली का तात्पर्य सूर्य से है।
जयशंकर प्रसाद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
- जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखते हैं?
महान लेखक और कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म – सन् 1889 ई. में हुआ तथा मृत्यु – सन् 1037 ई में हुई। बहुमुखी प्रतिभा के धनी जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था| बचपन में ही पिता के निधन से पारिवारिक उत्तरदायित्व का बोझ इनके कधों पर आ गया।
- प्रसाद जी द्वारा रचित अधूरा उपन्यास कौन सा था?
इरावती (उपन्यास) जयशंकर प्रसाद का अपूर्ण उपन्यास जिसका प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद 1940 ई. में हुआ। दो उपन्यासों में प्रसाद ने वर्तमान समाज को अंकित किया है पर इरावती में वे पुन: अतीत की ओर लौट गये है।
- प्रसाद जी को कामायनी के लिए कौन सा पुरस्कार प्राप्त हुआ था?
पुरस्कार – जय शंकर प्रसाद क ‘ कामायनी’ पर मंगला प्रसाद पारित र्प्राप्त हुआ था
- जयशंकर प्रसाद कौन सी काव्य रचना से विश्व प्रसिद्ध हुए?
कामायनी कामायनी महाकाव्य कवि प्रसाद की अक्षय कीर्ति का स्तम्भ है। भाषा, शैली और विषय–तीनों ही की दृष्टि से यह विश्व–साहित्य का अद्वितीय ग्रन्थ है।
- जयशंकर प्रसाद किसकी रचना है?
कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास यानी रचना की सभी विधाओं में उन्हें महारत हासिल थी. उनकी कामायनी, आंसू, कानन-कुसुम, प्रेम पथिक, झरना और लहर कुछ प्रमुख कृतियां है. जयशंकर प्रसाद के पिता वाराणसी के अत्यन्त प्रतिष्ठित नागरिक थे और एक विशेष प्रकार की सुरती (तंबाकू) बनाने के कारण ‘सुंघनी साहु’ के नाम से जाना जाता था
- कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते थे?
कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से बचना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उनका जीवन साधारण-सा है। उसमें कुछ भी ऐसा नहीं जिससे लोगों को किसी प्रकार की प्रसन्नता प्राप्त हो सके। उनका जीवन अभावों से भरा हुआ था जिन्हें वह औरों के साथ बांटना नहीं चाहते थे।
- जयशंकर प्रसाद की मृत्यु कब हुई?
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवंबर 1937 को हुई थी।
- जयशंकर प्रसाद के ज्येष्ठ भ्राता का क्या नाम था?
उनके ज्येष्ठ भ्राता का नाम शम्भू रत्न था।
- गुंडा किसकी रचना है?
गुंडा जयशंकर प्रसाद जी की रचना है।
- झरना के रचनाकार कौन हैं?
झरना जयशंकर प्रसाद जी की रचना है।
- जयशंकर प्रसाद का पहला नाटक कौन सा है?
जयशंकर प्रसाद का पहला नाटक राजश्री था।
- जयशंकर प्रसाद का अंतिम नाटक कौन सा है?
जयशंकर प्रसाद का अंतिम नाटक ‘कामायनी’ था।
- जयशंकर प्रसाद की कौन सी रचना हिंदी का मेघदूत कहलाती है?
‘आँसू’ को ‘हिन्दी का मेघदूत’ कहा जाता है। प्रसाद को ‘प्रेम और सौंदर्य का कवि’ कहा जाता है।
- आंसू का प्रकाशन वर्ष क्या है?
आंसू का प्रकाशन वर्ष 1925 था।
- आशु कवित्व से आप क्या समझते हैं?
जब कोई कवि किसी अवसर के अनुसार उसी समय कविता बनाकर सुनाएं उसे आशुकवि कहते हैं।
FAQs
प्रसाद की मुख्य भाषा हिंदी हैं।
प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को हुआ था।
प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कामायनी है।
प्रसाद के पिता का नाम बाबू देवकी प्रसाद था।
प्रसाद का जन्म वाराणसी में हुआ था।