Ramchandra Shukla: रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 4 अक्टूबर 1884 को बस्ती अगोना गाँव, ज़िला बस्ती, उत्तरप्रदेश में हुआ था। 1898 में आपने मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की व 1901 में मिर्ज़ापुर से एंट्रेंस की। आपकी एफ० ए० व मुख़्तारी की पढ़ाई पूरी ने हो सकी। आपने अपनी पहली नौकरी 1904 में मिशन स्कूल में ड्रांइग मास्टर के रूप में की।
Premchand ka jivan parichay | मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय, premchand ki kahaniyan-1936
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय इस प्रकार है: aacharya ramchandra shukla ka jivan parichay
- उनका जन्म 4 अक्टूबर 1884 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के अगोना गांव में हुआ।
- उनके पिता पंडित चन्द्रबली शुक्ल कानूनगो थे और माता निवासी देवी।
- माता की मृत्यु के बाद, पिता ने दूसरी शादी कर ली।
- उन्होंने मिर्जापुर के लंदन मिशन स्कूल से 1901 में स्कूल फाइनल परीक्षा पास की।
- पिता की इच्छा के विरुद्ध, उन्होंने साहित्य में ही अपना करियर बनाया।
- 1908 में, काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने उन्हें हिन्दी-शब्द-सागर के सह सम्पादक के पद पर नियुक्त किया।
- 1919 में, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक हुए।
- 1937 से 1941 तक, हिन्दी विभाग के अध्यक्ष के पद पर सेवा की।
- 2 फरवरी 1941 को, हृदय का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।

मुख्य कृतियाँ:
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929)
- चिन्तामणि (1914)
- मनोहर (1924)
- सतसई (1932)
- हिन्दी-कहानी (1936)
रचनाएं:-
- निबंध:- चिंतामणि (दो भाग), विचार वीथी।
- आलोचना:- रसमीमांसा, त्रिवेणी (सूर, तुलसी और जायसी पर आलोचनाएं)।
- इतिहास:- हिंदी साहित्य का इतिहास।
- संपादन:- तुलसी ग्रंथावली, जायसी ग्रंथावली, हिंदी शब्द सागर, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, भ्रमरगीत सार, आनंद कादंबिनी।
- काव्य रचनाएं:- ‘अभिमन्यु वध’ , ’11 वर्ष का समय’ ।
- प्रमुख कृतियां – हिंदी साहित्य का इतिहास, हिंदी शब्द सागर, चिंतामणि व नागरी प्रचारिणी पत्रिका।
शुक्ल जी द्वारा संपादित कृतियां
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जायसी ग्रंथावली (1925 ईस्वी)
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भ्रमरगीत सार (1926 ईस्वी)
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गोस्वामी तुलसीदास
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वीर सिंह देव चरित
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भारतेंदु संग्रह
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हिंदी शब्द सागर

मौलिक रचना – कविताएं
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जायसी
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तुलसी
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सूरदास
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रस मीमांसा (1949 ईस्वी)
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भारत में वसंत
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मनोहारी छटा
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मधु स्रोत
अनुवाद कार्य
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कल्पना का आनंद
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राज्य प्रबंध शिक्षा
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विश्व प्रपंच
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आदर्श जीवन
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मेगस्थनीज का भारत विषय का वर्णन
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बुद्ध चरित्र
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शशांक
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हिंदी साहित्य का इतिहास 1929 (ईसवी)
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फारस का प्राचीन इतिहास

निबंध संग्रह
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काव्य में रहस्यवाद (1929 ईस्वी)
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विचार वीथी 1930 (ईस्वी), 1912 ईस्वी से 1919 ईस्वी तक
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रस मीमांसा (1949 ईस्वी)
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चिंतामणि भाग 1 (1945 ईस्वी)
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चिंतामणि भाग 2 (1945 ईस्वी)
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चिंतामणि भाग 3 (नामवर सिंह द्वारा संपादित)
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चिंतामणि भाग 4 (कुसुम चतुर्वेदी संपादित शुक्ल द्वारा लिखी गई विभिन्न पुस्तकों की भूमिका और गोष्ठियों में दिए गए उदाहरण।)
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के निबंध
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काव्य में प्राकृति दृश्य
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रसात्मक बोध के विविध स्वरूप
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काव्य में अभिव्यंजनावाद
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कविता क्या है?
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काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था
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भारतेंदु हरिश्चंद्र
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काव्य में रहस्यवाद
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मानस की जन्मभूमि
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साहित्य
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उपन्यास
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मित्रता
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साधारणीकरण और व्यक्ति
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तुलसी का भक्ति मार्ग
सारांश:
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक प्रमुख हिन्दी आलोचक, लेखक और इतिहासकार थे, जिनका जन्म 1884 में उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- उन्होंने कम उम्र में ही अपनी माँ को खो दिया और अपनी सौतेली माँ से कठिनाइयों का सामना किया।
- उन्होंने अपने पिता की इच्छा के बावजूद साहित्य के प्रति अपने जुनून को जारी रखा और एक प्रसिद्ध संपादक, शिक्षक और विद्वान बन गये।
- उन्होंने हिंदी कविता, गद्य, इतिहास और आलोचना पर कई रचनाएँ लिखी और संपादित कीं, जैसे हिंदी साहित्य का इतिहास, चिंतामणि, मनोहर और सतसई।
- 1941 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रमुख के रूप में कार्य करते समय दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
मुख्य कार्य:
- हिंदी साहित्य का इतिहास (1929) – हिंदी साहित्य का एक व्यापक और आधिकारिक इतिहास
- चिंतामणि (1914) – भाषा, संस्कृति, राजनीति और धर्म जैसे विभिन्न विषयों पर निबंधों का संग्रह
- मनोहर (1924) – उनके अपने अनुभवों और टिप्पणियों पर आधारित लघु कहानियों का संग्रह
- सतसई (1932) – बिहारी लाल के प्रसिद्ध सात सौ छंदों पर एक संस्करण और टिप्पणी
- हिंदी-कहानी (1936) – हिंदी लघुकथा शैली के विकास और विशेषताओं का एक आलोचनात्मक अध्ययन