आदिपुरुष रिव्यू हिंदी में | Adipurush Film Review | जय श्री राम | आदिपुरुष की कहानी में कितना बदलाव?123….. – Wiki Filmia

आदिपुरुष रिव्यू हिंदी में | Adipurush Film Review | जय श्री राम | आदिपुरुष की कहानी में कितना बदलाव?123…..

आदिपुरुष रिव्यू – जय श्री राम / Adipurush Film Review

आदिपुरुष (Adipurush)हिंदू महाकाव्य वाल्मीकि रामायण(जय श्री राम) एक भारतीय महाकाव्य पौराणिक कथा पर आधारित फिल्म है। बीते दिनों इस फ़िल्म की काफी आलोचना हो रही थी। क्या ये फ़िल्म उन आलोचनाओं के काबिल थी या इसने दर्शकों को कुछ बेहतर दिया है। आगे हम इसकी पूरी चर्चा करेंगे। इसके सकारात्मक और नकारात्मक बिंदुओं पर बात करते हुए इस फ़िल्म की एक विस्तृत समीक्षा करेंगे।

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आदिपुरुष रिव्यू हिंदी में | Adipurush Film Review | जय श्री राम
आदिपुरुष रिव्यू हिंदी में | Adipurush Film Review | जय श्री राम

 

जय श्री राम

आज एक ऐसी मूवी का रिव्यु मैं करने जा रहा हूँ, जिसके बारे में लोगों की 50/50 ओपिनियन्स है। कोई अच्छा बोल रहा है, कोई बुरा। किसी को कैरेक्टर से प्रॉब्लम है तो किसी को इसके सीजीआई और वीएफएक्स से। इन सबको दिमाग में रखकर ही मैं थिएटर गया था और थिएटर हाउसफुल था। सुबह 8:00 बजे का शो हाउसफुल मैंने देखा हिंदी में थ्री-डी में तो कैसी है ये मूवी?

Review On IMDb-Adipurush

आइए अब बात करते हैं-

मूवी पूरे 3 घंटे की है तो इंटरवल वगैरह पकड़ के ऑलमोस्ट 3.5 घंटे आपको थिएटर मैं बैठना है। इसका रिव्यु मैं आज पॉज़िटिव और नेगेटिव को ध्यान में रखकर करने वाला हूँ। क्योंकि जितना हाईप इस मूवी के रिलीज होने के लिए था, उससे ज्यादा हाइप इस मूवी की इसलिए बनी हुई थी क्योंकि आधे लोग नेगेटिव बोल रहे थे और आधे पॉज़िटिव। तो मैं भी उसी तरह आपको रिव्यु देने की कोशिश करता हूँ।

आदिपुरुष रिव्यू हिंदी में | Adipurush Film Review | जय श्री राम

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सकारात्मक बिन्दु-

  • तो सबसे पहले पॉज़िटिव देखो। स्टोरी सबको पता है तो थिएटर में कोई भी स्टोरी देखने बिल्कुल भी नहीं जायेगा। और सच कहूं तो रामायण की स्टोरी 3 घंटे में दिखाना पॉसिबल है ही नहीं। तो पब्लिक को स्टोरी पता होने का अडवांटेज मेकर्स ने काफी अच्छे से यूटिलाइज किया है। स्टोरी को फास्ट बेस्ट रखकर। जी हाँ, मूवी 3 घंटे की जरूर है लेकिन ये आपको ज़रा भी बोर नहीं करती।
  • इसका दूसरा पॉज़िटिव पॉइंट ये है कि ये बोर नही करती । इसलिए नहीं करती क्योंकि इस फ़िल्म का डायरेक्शन काफी अच्छा है। इतनी बड़ी स्टोरी को प्रेज़ेंट करने के लिए जो स्टाइल मेकर्स ने यूज़ किया है वो बड़े पर्दे पर सच में अच्छा लग रहा था।
  • तीसरा पॉज़िटिव पॉइंट है इसका म्यूसिक भाई साहब मंत्रमुग्ध हो ना किसे कहते हैं यह इसके गाने सुनकर पता चल जाएगा। कुछ गानों से आपका दिल लग जाएगा और कुछ से आपको भी आयेंगे स्पेशल ली गानों से भी बढ़कर है इसका बैकग्राउंड म्यूजिक जिसके लिए स्पेशल ली अजय अतुल सर सो तोपों की सलामी।
  • चौथा पॉज़िटिव पॉइंट है- इसके बैकग्राउंड सीजेआइ होने के बावजूद बैकग्राउंड काफी रीयलिस्टिक बनाए गए हैं। चाहे वो जंगल हों, पहाड़ हों, नदी, नाले हों या छोटे से छोटा पेड़ पौधा सब कुछ रीयलिस्टिक लगता है। पांचवा पॉज़िटिव पॉइंट है सैफ अली खान। लेकिन ये पांचवा पॉज़िटिव पॉइंट सिर्फ उनकी एक्टिंग के लिए।

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नकारात्मक बिन्दु-

  • अगर आपको निगेटिव सुनना पसंद नहीं है तो आगे मत बढ़ना इसके नेगेटिव भी भरपूर है। सबसे पहले तो कास्टिंग श्रीराम, श्री हनुमान और लक्ष्मण इनके अलावा सबके रोल परफेक्ट थे। हालांकि एक्टिंग वाइज सपने अच्छा काम किया है, लेकिन कैरेक्टर वाइज बॉडी लैंग्वेज वाइज़ प्रभास श्रीराम के अवतार में सूट नहीं हो रहे। जिसके साथ साथ मुझे ये भी लगता है कि ना ही हनुमान जी और ना ही लक्ष्मण का कैरेक्टर उनके ऐक्टर्स पर सूट कर रहा था।
  • दूसरा नेगेटिव पॉइंट काफी फेमस है इसका वीएफएक्स और सीजीआई। मैं ये नहीं कह रहा हूँ की इसका वीएफएक्स हर ऐंगल से हर सीन में खराब ही है। वीएफएक्स और सीजेआई तो कल के फ्लैश मूवी में भी थोड़ा बहुत था। बट यहाँ वो डाइरेक्टली नजर आता है। सीजीआई कैरेक्टर्स के एनीमेशन में जर्क दिखाई पड़ता है।
  • तीसरा नेगेटिव पॉइंट है अननेसेसरी सीन्स। पहला फाइट सीन है जिसको एक्चुअली काफी ट्रोल किया गया था। फर्स्ट टीजर के बाद उसकी रिक्वायरमेंट ही नहीं, उसका सीजीआई हद से ज्यादा बेकार था, उस सीन को हटा देना चाहिए था। कुछ वर्ड्स भी आज के हिंदी वर्ड जैसे लग रहे थे जैसे, काम, धंधा, मौत, बाप लंका लगा देना और कुछ डायलॉगस काफी छपरी फील होते हैं। फॉर एग्जाम्पल कपड़ा तेरे बाप का तेल, तेरे बाप का, आग भी तेरे बाप की तो जलेगी भी तेरे बाप की। दूसरा सुनो ये तेरे बुआ का बगीचा नहीं है जो हवा खाने चला आया। 7000 साल पहले या किसी भी डिवोशनल या माइथोलॉजिकल स्टोरी के लिए ऐसे डायलॉग………..
  • चौथा नेगेटिव पॉइंट है। जबरदस्ती के चेंजेस जटायु एक गिद्ध थे ना की गरुड़ और गिद्ध और गरुड़ में फर्क होता है। दूसरा जबरदस्ती का चेंज, रावण के पुष्पक विमान को चमगादड़ में चेंज कर दिया। श्रीराम की मूंछें और रावण का मॉडर्न हेयर स्टाइल और ऊपर से पता नहीं क्यों उन्होंने रावण को रेग्युलर फॉर्म में नहीं थोड़ा लार्जर साइज में दिखाया गया है। जो सच में अननेसेसरी था और इससे भी ज्यादा नेगेटिव पॉइंट्स है।

आदिपुरुष रिव्यू हिंदी में | Adipurush Film Review | जय श्री राम

पर सच कहूँ तो इन नेगेटिव पॉइंट्स एक कॉमन ऑडिएंस ऐंड फैमिली ऑडियंस को शायद ही फर्क पड़ेगा क्योंकि रामायण की कहानी हर किसी के दिलों में बसती हैं। जिसकी वजह से सारे शोज़ हाउसफुल जा रहे हैं। जो भी इस फ़िल्म के अब विरोध में है या सिर्फ और सिर्फ ही फैला रहे हैं उनको पब्लिक दिखा रही है ठेंगा और अपना एन्टरटेनमेन्ट आराम से कर रही है बट मेरे हिसाब से इसे बड़े पर्दे पर एक बार जरूर देखा जा सकता है। स्पेशल ली बच्चों को शायद ज्यादा मज़ा आये। इस फ़िल्म के डायरेक्शन, सिनेमैटोग्राफी और म्यूसिक अच्छा है।

6 thoughts on “आदिपुरुष रिव्यू हिंदी में | Adipurush Film Review | जय श्री राम | आदिपुरुष की कहानी में कितना बदलाव?123…..”

    • आपके कमेंट के लिए शुक्रिया। आपकी बात को ध्यान में रखा जायेगा।

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  1. Kripaya family ke saath aur bachho ke saath to bilkul na dekhe om Raut Manoj muntasir ki tuchhi peshkash Adipurursh.Please ban Adipurursh for the sake and respect for our Lord Ram.This movie doesn’t deserve 0.5 rating. Om Raut presents Adipurursh as new version of PuBG. What the hell does the director want to showcase? Ramayana ka pura mazaak bana diya tattiyo ne. No engagement, worst dialogue,emotionless,feelingless.,storyless. Manoj muntasir ne dialogue kya Bajrang dal aur BJP walo ko dhyaan mein rakh kar likha? Kya sadak chaap lafango wale dialogue likhe hai. Kya headache cartoon hai. Masterpiece third class cartoon director Om Raut and ghatiya dialogue writer manoj.Both of them can Start selling pakoda at the pmo office,new parliament or at Varanasi. Bhagwan Ram-Mata Sita ka Naam kharab kar diya gadhe cartoon director ne. Prabhas should slap himself till the time his cheeks gets bloody for signing film with sujit kumar,radha krishna kumar and om raut for harassing people. And take a pledge not to do film with one time director. Prabhas ne apne pair par khudh kulhari maari hai. Sallar prabhas ki film nahi hai balki Prashanth Neel ki film hai,isliye Sallar ki kamyabi ka koi lena dena nahi prabhas se. Usko ghatiya hi director pasand aata hai kaam karne ke liye. Isko Ramayan se tulna karna v doordarshan ke Ramayan ki beizzati hai aur kuch nahi. rakha jaata,to thik tha. Paisa banayega lekin pasand kisi gadhe ko v nahi aayega yeh film. Kewal Bhagwan Ram ke naam se paisa chapega gadha director aur producer. Ghatiya director ko bolo mar jaaye chullu bhar paani mein. Isko film kehte hai,aesha VFX-cgi hota hai. Tuchha director. Prabhas career died at Indian Box office. Aur karo tucche director ke sath kaam. Om Raut ne jitne theatres mein yeh film lagayi hai sabka toilet saaf karwao om raut,manoj aur bhushan se.khoon jala diya. Adipurursh makers= Tatti.

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  2. Ramananda Sagar’s first visualization of Ramayana still sticks to my mind. This will be my premise of my review. The story line is the same. No problems with it at all.

    Now to my criticisms of this movie. Through the times watched Lord of the rings a path breaking movie in terms of the dfx. Then we had game of thrones , guardian of the apes, bits and pieces of Harry Potter, lord of the dragons etc amongst others like avatar as well. It portrayed a very dark movie from the beginning. Understand the commercialization of the movie. The makers just put the story line in a very dark atmosphere. Barely any dialogues only background music and action. I went to watch this movie having watched Ramanand Sagar’s Ramayan…. and having watched all of the other movies stated above guess we wouldn’t miss much going through the theatrics.
    Now coming to the actuals, the acting, Maryadapursh didn’t have much much to show, played his part. Kristin Sanon looked the part and her costume designer did well. Ravana is comparable to Sauran from lord of the rings. It’s a dark movie. Now lastly Hanuman….. no individuality on his own….. could he stand out on his own ? I don’t like dark films… and it’s one of them. There is no hurry watching this movie.

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